Wednesday 1 February 2017

क़ातिल (गाना)

तू ले गया,
नींद-ओ-चैन चुराके,
न जाने कब तेरी हो गयी,
मैं सारा जहान भुलाके। (२)

सारा ज़माना कहता है,
तू मेरा दीवाना है,
तू मेरी अदाओं पर हुआ फ़िदा,
मेरी अदाएँ क़ातिलाना है।

कहूँ क्या अब तुझे,
जुड़ गयी मेरी ज़िन्दगी तुझ से,
भय तो  लोगों को है हम से,
कहीं उनका भी दिल चुरा न लें।

शीशे की तरह है यह प्रेम,
टूट सकता है कभी भी,
दिल है चीज़ बड़ी नाज़ुक,
इसकी रखवाली करे तू ही।

नज़रों में तुझे आ बसा लूँ ,
कोई तुझे दूर न कर ले,
हमें है मोहब्बत तुझ से,
ऐसा कि किसी को कभी न हुआ हो वैसे।

जो हमें करे जुदा,
वह बच न पाऐगा,
तोड़ेगा वह हमारा दिल,
और क़ातिल हमें कहलाऐगा।

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