Monday 12 September 2016

Ek Katra (Gaana)

ओ साथिया,
तू मुझसे दूर न जा,
क्योंकि तू है इस दुनिया में अनोखा,
तुझ सा और कोई न दूजा ।

परवाह  करूँ मैं तेरी,
सुलझाऊँ हर पहेली,
मैं न माँगू तुझ से कुछ भी,
बस दे दे एक कतरा सहारा ही।

तुमसे कभी न किया बयान,
कि तू ही है वह इंसान,
जिसपे देती हूँ जान,
और समर्पित करती हूँ आत्म-सम्मान।

मैं जानती हूँ कि,
तू जा रहा है अभी,
मुझसे कोसों दूर,
मगर तुझसे मिलूँगी मैं ज़रूर।

हमारी चाहत लाएगी,
हमें करीब जल्द ही,
एक कतरा तो दे जा मुझे,
यादों की बरसातें।




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