Wednesday 15 June 2016

Ibaadat (Gaana)

सपनों में भी,
तू दिखे मुझे,
मैं तेरे बिना,
एक पल भी न जीया ।

तेरे हर बात को,
मैंने है माना,
हर मन्नत में अपनी,
एक तुझको ही माना ज़रूरी ।

तू ही है मेरी इबादत,
एक तू  ही है मेरी ज़िंदगी,
तुम्ही से मिली राहत,
अब तेरी ही लगी है मुझे आदत ।

कौन कहता है,
कि प्यार में दर्द है?
 मैं तो  मानता हूँ,
कि प्यार जैसा मरहम मैं कहीं न  ढूँढ सकूँ ।

इस संसार में,
प्यार की कमी नहीं है,
प्यार मिलता है,
जब दिल में वह भाव खिलता है ।

तू ही है मेरी इबादत,
एक तू ही है मेरी ज़िन्दगी,
तुम्ही से मिली मुझे राहत,
अब तेरी ही लगी है मुझे आदत ।


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